आधुनिक समय में बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ता ही जा रहा है। मोबाइल, टीवी, टैबलेट और लैपटॉप—ये सभी उपकरण मनोरंजन और शिक्षा का हिस्सा बन गए हैं। लेकिन, क्या यह स्वास्थ्य और विकास के लिए सुरक्षित है? इस लेख में हम समझेंगे:
स्क्रीन टाइम का प्रभाव, भारत में दिशा-निर्देश, समस्या और उसके समाधान, बच्चों की सही देखभाल और माता-पिता के सुझाव।

1. समस्या: अधिक स्क्रीन टाइम का प्रभाव और कारण

1.1 समस्या का पैमाना

हाल की एक भारतीय अध्ययन के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे प्रतिदिन लगभग 2.2 घंटे स्क्रीन के सामने बिताते हैं—जो कि सुरक्षित सीमा से दोगुना है 0।

1.2 स्वास्थ्य और विकास पर असर

  • शारीरिक: मोटापा, गतिहीन जीवनशैली, चेहरे पर तनाव, आंखों में रूखा पन, नींद में बाधा 1
  • मानसिक और व्यवहार: ध्यान में कमी, वाक् विकास में देरी, चिड़चिड़ापन, आक्रामकता, सोशल दूरी 2
  • हृदय-स्वास्थ्य: अतिरिक्त स्क्रीन समय से कार्डियो-मेटाबोलिक जोखिम बढ़ता है, खासकर जब नींद पर्याप्त न हो 3
  • सामाजिक और भावनात्मक: परिवार और साथियों के साथ कम संवाद, रचनात्मकता में कमी 4

2. दिशानिर्देश: भारतीय विशेषज्ञों द्वारा सिफारिशें

भारतीय एकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स (IAP) ने स्‍क्रीन टाइम पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं:

  • 2 वर्ष से कम उम्र: बिल्कुल स्क्रीन नहीं (सिवाय वीडियो कॉल के) 5
  • 2–5 वर्ष (24–59 महीने): अधिकतम 1 घंटा नियंत्रित और पर्यवेक्षित स्क्रीन टाइम, और कम बेहतर 6
  • 5–10 वर्ष: 2 घंटे से कम स्क्रीन टाइम; साथ ही पढ़ाई, खेल, नींद और पारिवारिक समय प्राथमिक होना चाहिए 7

डॉक्टरों की चिंताएँ (भारतीय संदर्भ में)

लखनऊ के KGMU के डॉक्टर ने चेतावनी दी है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम से ADHD-समान लक्षण, आत्मकेंद्रित व्यवहार, इंटरनेट/गेमिंग की लत, साइबरबुलिंग जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल स्वच्छता (digital hygiene) आवश्यक है, जिसमें लिखित स्क्रीन-उपयोग समझौते, घरेलू डिवाइस-मुक्त ज़ोन, बाहरी गतिविधियाँ और जिम्मेदार डिजिटल नागरिकता शामिल हों 8।


3. समाधान और देखभाल: व्यवहारिक सुझाव

3.1 माता-पिता के लिए सुझाव

डिजिटल स्वच्छता अपनाएँ: घरेलू नियम बनाएं — जैसे लिखित समझौता जिसमें तय हो कि कब और कितनी देर बच्चों को स्क्रीन देखने की अनुमति है; घर की कुछ जगहें जैसे खाने की मेज, बेडरूम और बाहर वाहन में—स्क्रीन-मुक्त हों।
वैकल्पिक गतिविधियाँ: कहानी सुनाना, आर्ट–क्राफ्ट, पठन, खेल, नृत्य और संगीत जैसी रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें।
स्क्रीन से पहले 1 घंटे का ब्रेक: नींद से पहले 1 घंटे तक कोई डिजिटल डिवाइस बंद रखें; इससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है 9।
20-20-20 नियम: हर 20 मिनट के स्क्रीन उपयोग के बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखा जाए—आंखों की थकावट कम करने में मदद करता है 10।
सह–देखना और संवाद: बच्चे के साथ स्क्रीन सामग्री देखें, समझाएँ और सवाल पूछें; वीडियो को सीखने का अवसर बनाएं 11।

3.2 बच्चों की देखभाल का आयाम

स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने के साथ-साथ हमें उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का भी ध्यान रखना चाहिए:

  • पर्याप्त नींद: 8–9 घंटे (उम्र के हिसाब से) uninterrupted sleep सुनिश्चित करें 12
  • आउटडोर फिजिकल एक्टिविटी: कम से कम 1 घंटा प्रतिदिन – जैसे दौड़ना, खेलना, नाचना 13
  • भाषा और सामाजिक कौशल: संवाद, कहानी–कहना और साथ-खेलना बढ़ाएं ताकि भाषा और सामाजिकता विकसित हो
  • भावनात्मक समर्थन: माता-पिता का ध्यान, साथ-देना, सकारात्मक संवाद – बच्चों को सुरक्षा और आत्मविश्वास देता है

4. संक्षिप्त सारांश और मार्गदर्शन

नीचे सारांशात्मक तालिका प्रस्तुत है, जो माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए मार्गदर्शक हो सकती है:

आयु वर्ग अनुमत स्क्रीन टाइम महत्वपूर्ण देखभाल पहलू
2 वर्ष से कम शून्य (सिवाय वीडियो कॉल) मानव संवाद, खेल, कहानी, जुड़ाव
2–5 वर्ष ≤1 घंटा, पर्यवेक्षित शारीरिक गतिविधि, संवाद, वैकल्पिक खेल
5–10 वर्ष 2 घंटे से कम नींद, पढ़ाई, पारिवारिक समय, समाजिक संपर्क

बच्चों का स्क्रीन टाइम नियंत्रित करना केवल उनकी आंखों या शारीरिक स्वास्थ्य की बात नहीं है—यह उनके संपूर्ण विकास, भावनात्मक संतुलन और सामाजिक कौशल का सवाल भी है। माता-पिता और डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए दिशा-निर्देशों का पालन करके, हम बच्चों के लिए एक स्वस्थ, खुशहाल और सुरक्षित डिजिटल और ऑफलाइन दुनिया बना सकते हैं।

 


बच्चों को स्क्रीन से हटाकर किन चीज़ों में व्यस्त करें?

आजकल बच्चों का ज़्यादा समय टीवी, मोबाइल या टैबलेट पर बीतने लगा है। लगातार स्क्रीन पर ध्यान देने से न सिर्फ उनकी आँखों और नींद पर असर पड़ता है, बल्कि उनकी रचनात्मकता, शारीरिक सक्रियता और सामाजिक कौशल भी प्रभावित होते हैं। माता-पिता को यह समझना जरूरी है कि बच्चे का ध्यान वैकल्पिक, मज़ेदार और सीखने योग्य गतिविधियों की ओर कैसे ले जाया जाए।

1. रचनात्मक और कला संबंधी गतिविधियाँ

चित्रकारी, रंग भरना और क्राफ्ट: बच्चे को ड्राइंग बुक, क्रेयॉन और रंगीन कागज़ दें। ओरिगामी (कागज़ की कला) भी एक मज़ेदार विकल्प है।
मिट्टी या क्ले मॉडलिंग: इससे उनकी कल्पनाशक्ति और हाथों की कौशलता दोनों बढ़ती है।

2. शारीरिक और आउटडोर खेल

स्क्रीन से हटाने का सबसे आसान तरीका है उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रेरित करना:

  • साइकिल चलाना, फुटबॉल, बैडमिंटन या क्रिकेट
  • पार्क में दौड़ना या रस्सी कूदना
  • योग और डांस — शरीर और मन दोनों के लिए अच्छे

3. परिवार के साथ समय बिताना

जब बच्चे माता-पिता और दादा-दादी के साथ वक्त बिताते हैं तो उन्हें स्क्रीन की कमी महसूस नहीं होती।

बोर्ड गेम्स: कैरम, लूडो, सांप-सीढ़ी जैसे खेल पारिवारिक जुड़ाव बढ़ाते हैं।
कहानी सत्र: सोने से पहले कहानियाँ सुनाना बच्चों की भाषा और कल्पना शक्ति को बढ़ाता है।

4. पठन-पाठन की आदत डालना

किताबें बच्चों के लिए स्क्रीन का सबसे अच्छा विकल्प हैं। शुरुआत रंगीन चित्रों और सरल कहानियों से करें।

लाइब्रेरी विज़िट: हफ्ते में एक बार उन्हें लाइब्रेरी ले जाएं। यह उनकी पठन आदत को मज़बूत करेगा।

5. सीखने वाली गतिविधियाँ

  • पज़ल्स और ब्रेन गेम्स (जैसे सुडोकू, जिगसॉ पज़ल)
  • बागवानी: छोटे गमले में पौधे लगाना और उनकी देखभाल करना
  • कुकिंग में मदद: आसान और सुरक्षित रेसिपी जैसे सैंडविच बनाना

6. माता-पिता की भूमिका

बच्चों को स्क्रीन से हटाना तभी आसान है जब माता-पिता खुद उदाहरण बनें। यदि घर में बड़े भी लगातार मोबाइल पर रहेंगे तो बच्चा स्वाभाविक रूप से उसकी नकल करेगा।

सुझाव: “फैमिली स्क्रीन-फ्री टाइम” तय करें — जैसे रात का खाना या संडे की सुबह। उस समय हर कोई बिना मोबाइल के साथ बैठे और गतिविधियाँ करे।

बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह हटाना मुश्किल है, लेकिन संयम और संतुलन बनाकर उन्हें नई गतिविधियों की ओर आकर्षित किया जा सकता है।
माता-पिता को धैर्य और रचनात्मकता दोनों की ज़रूरत होती है। सही वातावरण देने से बच्चे न सिर्फ स्क्रीन से दूर रहेंगे बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।

 


 

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